Chhapra Desk- गया में आज बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना के निर्देशानुसार “महिलाओं के कानूनी अधिकार” विषय पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन कार्यालय सभागार में किया गया है. इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से यह कार्यक्रम में संपन्न हुआ है आज इस कार्यक्रम में 60 महिलाओं का समूह ने भाग लिया गया है. इस महिलाओं के समूह में शिक्षिकाएं, आगनबाडी सेविका, महिला कक्षपाल, आशा बहन, उपस्थित थें.
और इस जागरूकता शिविर में महिलाओं के संपत्ति का अधिकार, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए उपलब्ध कानूनी प्रावधान बाल विवाह से बचाव, कन्या भ्रूण हत्या, तेजाब हमला, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, आदि से पीड़ित महिलाओं के लिए उपलब्ध मुआवजा एवं चिकित्सा प्रावधान के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी है. आज इस कार्यक्रम का उद्घाटन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार अंजू सिंह एवं प्रसिद्ध महिला समाजसेवी गीता देवी ने दीप प्रज्वलित कर किया गया है. इस मंच संचालन कुमारी सुमन सिंह पैनल अधिवक्ता ने ककिया है वही इस अवसर पर सचिव ने बताया कि महिलाओं के कानूनी अधिकार के प्रति महिला को ही सजग रहना होगा एवं महिलाओं के कानूनी अधिकार जैसे कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार, कामकाजी महिलाओं का मातृत्व संबंधी अधिकार, पति अथवा रिश्तेदारों के खिलाफ घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार, कार्यस्थल पर छेड़छाड़ यौन उत्पीड़न से सरंक्षण का अधिकार, पुरुषों के समान पारिश्रमिक का अधिकार पर विस्तार पूर्वक चर्चा किया गया है. आगे इसके साथ यह भी बताया कि पति पत्नी के आपसी विवाद को थाना में रजिस्टर करने के सबसे पहले जिला विधिक सेवा प्राधिकार को सूचित करें और मध्यस्थता केंद्र में प्रशिक्षित मध्यस्थ अधिवक्ता के माध्यम से समझौता कराया जाता है जिससे कि छोटी सी गलतफहमी के कारण कोई परिवार उजड़ने से बच जाए. वही इस मंच को संबंधित करते हुए प्रसिद्ध समाजसेवी गीता देवी ने बताया की बहु को बेटी बनाकर महिलाएं बहु को बेटी बनाकर महिलाओं के अधिकार की सुरक्षा किया जा सकता है. महिलाओं के स्वास्थ्य के अधिकार के बारे में उन्होंने साथ ही अपने अनुभव की विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है.
आज इस पैनल अधिवक्ता प्रमिला कुमारी ने जागरूकता कार्यक्रम के दौरान बताया कि पति अथवा रिश्तेदारों के द्वारा अपमान, अनादर, गाली-गलौज, मारपीट करना चोट पहुंचाना, घर से निकालना, पैसा ना देना, दहेज के लिए बार-बार तंग करना और किसी से नहीं मिलने देना घरेलू हिंसा का रूप होता है. इसके लिए आप जिला विधिक सेवा प्राधिकार में आवेदन दे सकते हैं. नजदीकी थाना से संपर्क कर सकते है एवं महिला हेल्पलाइन 181 पर संपर्क कर सकते हैं. इस पैनल अधिवक्ता कुमारी सुमन सिंह ने विस्तारपूर्वक बताया कि बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार किस तरह से मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने की व्यवस्था करता है. आज के वर्तमान दौर महिला सशक्तिकरण का दौर है आज महिलाएं आंगन से लेकर अंतरिक्ष तक पहुंच गयी हैं लेकिन फिर भी कुछ क्षेत्रों में महिलाओं की हालत दयनीय बनी हुई है. इसलिए महिलाओं को समाज में और भी सशक्त बनाने के लिए सरकार ने घरेलू हिंसा अधिनियम (2005), दहेज निषेध अधिनियम (1961), हिंदू विवाह अधिनियम (1955) और न्यूनतम मजदूरी अधिनियम (1948) जैसे कानून बनाये हैं. घर को जोड़ने में विश्वास रखें, अपने घर परिवार को साथ देकर शशक्त महिला होने का प्रमाण दें. इस अवसर पर टनकुप्पा मिडिल स्कूल में पदस्थापित शिक्षिका किसवर प्रवीण ने इस संबंध में बताया कि महिलाओं के कानूनी अधिकार से ज्यादा क्रिर्यान्वयन होना आवश्यक है. आज हमारे समाज में पुरुष व महिलाओं के बीच भारी असमानता है. महिलाओं को भेदभाव का सामना करना पड़ता है. घर से लेकर बाहर कार्यस्थल तक उनके साथ दो तरह के व्यवहार किया जाता है. महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि उसे यदि उचित अवसर व सुविधएं मुहैया कराये जाएं तो वह पुरुषों से कम नहीं हैं. लेकिन, स्वतंत्रता के सालो बाद भी महिलाओं को जो सामाजिक सम्मान मिलना चाहिए, वह प्राप्त नहीं हो सका है. इस कार्यक्रम में मौजूद शिक्षिकाओं, सेविकाओं, आशा वर्कर्स ने कविता, गीत के माध्यम से नारी शशक्तिकरण पर प्रकाश डाला गया है.