मां का पहला दूध शिशुओं के लिए जीवनदायिनी ; कई रोगों से लड़ने की मिलती है क्षमता

Chhapra Desk – बच्चों के सर्वांगीण मानसिक एवं शारीरिक विकास में स्तनपान की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है. जन्म के 6 महीने तक केवल मां का दूध ना सिर्फ शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है बल्कि उसका मौलिक अधिकार भी है. कोरोना काल में जब हर कोई रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई उपायों को अपना रहे हैं. मां का दूध ही एक प्राकृतिक उपहार है जो शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कई रोगों से सुरक्षा कवच का काम करता है.


स्तनपान के प्रति बढ़ी जागरूकता , बच्चों का बढ़ा पोषण स्तर

राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वे-5 (2019-20 )के अनुसार जिले के 45 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिन्हे जन्म से 6 महीने तक केवल स्तनपान कराया गया है. जबकि 28.2 प्रतिशत शिशुओं को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान सुनिश्चित किया जा रहा है.

मां का पहला दूध शिशुओं के लिए जीवनदायिनी

सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया माँ का पहला दूध (कोलोस्ट्रम) शिशु के लिए जीवनदायिनी है, जो विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों जैसे जिंक, कैल्सियम और विटामिनों से युक्त और नवजात में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है. जिला स्वास्थ्य विभाग ने हमेशा से इस बात की अहमियत को ध्यान में रखते हुये लेबर रूम से ही कर्मियों द्वारा पहले घंटे के भीतर स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहन देने का निर्देश दिया हुआ है. इसके अलावा आशा , एएनएम एवं ममता के अलावा चिकित्सा अधिकारियों को भी यह निर्देशित है कि स्तनपान को बढ़ावा देने में सहयोग करने तथा माँ को स्तनपान की सही पोजीशन, बच्चे का स्तन से जुड़ाव और माँ के दूध निकालने का तरीका समझने में भी पूरा सहयोग किया जाए.

स्तनपान है माता के लिए भी फायदेमंद

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रमाणित किया है कि स्तनपान ना सिर्फ शिशु के लिए उत्तम है अपितु माता को भी ब्रेस्ट कैंसर , ओवेरियन कैंसर और अन्य रोगों से बचाता है. साथ हीं यह प्राकृतिक गर्भ निरोधन का काम भी करता है. शोध कहते हैं की स्तनपान करने वाली महिलाएं अन्य महिलाओं की अपेक्षा देर से गर्भधारण करती हैं,तथा शिशु को अपना दूध पिलाने से बाहर के दूध उत्पादों में होने वाले आर्थिक व्यय से भी बचाव संभव है.

सर्दी में रखें इन बातों का भी ध्यान

सर्दी और कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए शिशु के साफ-सफाई का विशेष रूप से खयाल रखें. इसके अलावा नवजात के मल मूत्र पर भी ध्यान रखें। ज्यादा बार मल करे तो उसे जिंक, ओ आर एस के घोल व जिंक की गोली जरूर दें. अगर कोई व्यक्ति सर्दी जुकाम से पीड़ित है या बाहर से आ रहा हो तो शिशुओं को उनसे दूर रखें। माताएँ शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए छूने से पहले हैंड वाश जरूर करें. शिशुओं को ऊनी कपड़े पहनाकर रखें ताकि सर्दी से बचाव हो सके.

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