सीयूएसबी में “ईमेल सिक्यूरिटी : एक जागरूकता” विषय पर वेबिनार का आयोजन

 Gaya Desk – गया शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) की शिक्षा पीठ ने “ईमेल सिक्यूरिटी: एक जागरूकता” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया है. वेबिनार का आयोजन कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह के कुशल नेतृत्व व मार्गदर्शन में पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर एंड टीचिंग स्कीम के अंतर्गत किया गया है.  बुधवार (1 दिसंबर 2021) को साइबर जागरूकता दिवस जोकि हर महीने के पहले बुधवार को मनाया जाता है उसी श्रृंखला में विवि द्वारा दूसरे ऑनलाइन वेबिनार को आयोजित किया गया है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैलाना और आने वाली पीढ़ियों को साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए उन्हें उन्मुख करके साइबर स्वच्छता को बढ़ाना है. इस कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में प्रोफेसर कौशल किशोर , विभागाध्यक्ष, शिक्षक-शिक्षा विभाग एवं अधिष्ठाता, शिक्षापीठ ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और कार्यक्रम में सम्मिलित सभी प्रतिभागियों को स्वागत किया गया है. इसके पश्चात प्रो. रेखा अग्रवाल, नोडल ऑफिसर, पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर एंड टीचिंग स्कीम ने साइबर जागरूकता दिवस के उद्देश्य व महत्व तथा आज के कार्यक्रम के विषय ईमेल सिक्यूरिटी: एक जागरूकता के विभिन्न आयामों एवं बिन्दुओं पर प्रकाश डाला गया है. आगे इस कार्यक्रम के अगले भाग में प्रथम मुख्य वक्ता अशोक कुमार सिंह, सिस्टम एनालिस्ट, सीयूएसबी ने बताया कि ईमेल का उपयोग अक्सर मैलवेयर, स्पैम आदि को फैलाने के लिए किया जाता है और कैसे हम अपने ईमेल पासवर्ड को अधिक सुरक्षित बना सकते है व सभी को अपने ईमेल के पासवर्ड को निश्चित समय अवधि के बाद बदलते रहना चाहिए. उन्होंने बताया कि कैसे हम ईमेल को अधिक सुरक्षित बना सकते है और अनधिकृत पहुंच, हानि या समझौता के विरुद्ध ईमेल खातों, सामग्री और संचार की सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं और तकनीकों का प्रयोग किया जा सकता है.

दूसरे मुख्य वक्ता डॉ नेमी चन्द्र राठौर, सहायक प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ़ कंप्यूटर साइंस ने ईमेल सिक्यूरिटी के तकनीकी व प्रायोगिक पहुलओं के साथ-साथ 1960 से लेकर अभीतक के वर्तमान ईमेल सिस्टम के विकासक्रम की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और तकीनीकी पहलूओं से सभी को अवगत कराया गया है. उन्होंने बताया कि कैसे हमलावर भ्रामक संदेशों (ईमेल) का उपयोग प्राप्तकर्ताओं को संवेदनशील जानकारी के साथ भाग लेने के लिए लुभाने के लिए करते हैं, और जैसे ही हम अटैचमेंट खोलते हैं या हाइपरलिंक पर क्लिक करते हैं वो हमारी डिवाइस में मैलवेयर स्थापित कर देते . आगे एम. एड. के छात्र तन्मय मेहता ने वास्तविक अनुभवों को शेयर किया जिसमे उन्होंने यह बताया कि कैसे एवं किन प्रकार के प्रोग्रामों से ईमेल की सुरक्षा को तोड़ा जा सकता है इस पर एक छोटा सा वीडियो प्रेजेंटेशन भी उनके द्वारा दिया गया है. कार्यक्रम के अंत में कार्यशाला समन्यवक डॉ. नृपेन्द्र वीर सिंह ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया है.  कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ तपन कुमार बसंतिया, डॉ मितांजलि साहू , डॉ प्रज्ञा गुप्ता, डॉ किशोर कुमार, डॉ स्वाति गुप्ता डॉ मनीष कुमार गौतम, आदर्श, अमितेश आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई.

 

साभार –  धीरज गुप्ता

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