Chhapra Desk – अगर कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो मंजिले मिल ही जाती हैं. इसकी नजीर सोनपुर के बैजलपुर के गोपाल पंडित के पुत्र विशाल कुमार है. जिसने गुड्डे- गुडिय़ों की मूर्ति खेल में ही बनाना शुरू किया था, लेकिन इस कला में उसने ऐसा मन और मेहनत लगाई कि बिना किसी प्रशिक्षण के ही वह मूर्तिकला में पारंगत हो गया. किसी भी आकार व शक्ल की हूबहू मूर्ति बनाने वाले विशाल की कला का ही करिश्मा है. विशाल ने यह सबकुछ 21 साल की उम्र में ही कर दिखाया है. अब उसकी सूबे में कलाकारी की डंका बज रही है. अब तक 1000 से अधिक मूर्तियां बना चुका है. बीते वर्ष 28 एवं 29 दिसंबर को सारण में आयोजित जिला स्तरीय युवा उत्सव 2021 पर सहभागिता में मूर्ति कला के क्षेत्र में प्रथम स्थान प्राप्त किया. जिलाधिकारी राजेश मीणा ने छात्र को सम्मानित किया.
यह गुण उसने अपने पिता गोपाल पंडित से सीखा
विशाल ने बताया कि मूर्ति कला का यह गुण उसने अपने पिता गोपाल पंडित से सीखा. गोपाल पंडित सरस्वती पूजा गणेशोत्सव दुर्गा पूजा आदि त्योहारों पर ऑर्डर पर मूर्ति बनाया करते हैं. इसके बाद अन्य दिनों में ऑर्डर पर जहां-तहां जाकर सीमेंट की मूर्ति बनाने का काम करते हैं. इसी से दो भाई एक बहन समेत पूरे परिवार का भरण पोषण चलता है. बचपन में शौक में ही बनाना शुरु किया था. दसवीं कक्षा के बाद तो उसने मूर्तिकला को ही मिशन बना लिया. इसी कड़ी में वर्ष 2020 में कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट पटना में विशाल ने अपना एडमिशन कराया.
महापुरुषों, राजनेताओं व देवी देवताओं की मूर्ति व पेंटिंग है आकर्षक का केंद्र
विशाल अब तक 1000 से ज्यादा मूर्तियां बना चुका है। जिनमें महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों से लेकर भगवान सरस्वती माता लक्ष्मी जी गणेश व दुर्गा माता सरीखे देवी- देवताओं राजनेताओं तक की मूर्ति शामिल है. यही नहीं विशाल तरह-तरह के पेंटिंग व स्क्रेच बनाने में महारत हासिल किए हुए हैं. हवामहल हैरिटेज, किसान, नारी चेतना व ग्रामीण परिवेश भी उसकी कला के विषय रहे हैं. शादी समारोह में भी विशाल अपने रिश्तेदारों को मूर्तियां बनाकर उपहार देता है. हाल ही में पटना की अजीमाबाद पटना नगर निगम सिटी में तीन छात्र मिलकर 10 स्क्वायर फीट में बेहतरीन वॉल पेंटिंग का कार्य किया हैं.