CHHAPRA DESK – सारण के चिरांद स्थित ऐतिहासिक बंगाली बाबा घाट इस ज्येष्ठ पूर्णिमा (11 जून) को एक बार फिर श्रद्धा, संस्कृति और संकल्प का साक्षी बनेगा. गंगा, सोन और सरयू नदियों के संगम पर स्थित इस प्राचीन भूमि पर हर वर्ष की तरह इस बार भी गंगा महाआरती सह गंगा बचाओ संकल्प समारोह भव्य रूप से आयोजित किया जा रहा है. आयोजन का शुभारंभ शाम 6:30 बजे होगा और पूरी रात विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला चलेगी. आयोजन के विषय में जानकारी देते हुए आयोजक संस्था चिरांद विकास परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं,
बल्कि गंगा जैसी जीवनदायिनी नदी की महत्ता को जन-जन तक पहुंचाना और उसकी स्वच्छता-संरक्षण का संकल्प दोहराना है. यह आयोजन चिरांद की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत को भी समर्पित है, जहां पुरातात्विक खुदाई में महापाषाण काल से लेकर गुप्त काल तक की संस्कृतियों के अवशेष मिल चुके हैं. यह स्थल न सिर्फ ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मां गंगा की गोद में बसी इस भूमि का आध्यात्मिक महत्व भी अत्यंत गहरा है. संस्था के सचिव ने बताया कि इस अवसर पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग,
बिहार सरकार के सचिव प्रणव कुमार मुख्य अतिथि होंगे, जबकि समारोह की अध्यक्षता सारण के जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुणित कुमार गर्ग करेंगे. जय प्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. परमेंद्र कुमार बाजपेई मुख्य वक्ता के रूप में गंगा और चिरांद की सांस्कृतिक धरोहर पर प्रकाश डालेंगे. विशिष्ट अतिथियों में सारण के जिलाधिकारी अमन समीर और आरक्षी उप महानिरीक्षक नीलेश कुमार होंगे. अयोध्या स्थित लक्ष्मण किला के महंत मैथली रमण सरण कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे. जबकि गंगा समग्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार सिंह की भी गरिमापूर्ण उपस्थिति रहेगी.
पूरी रात बहेगी सांस्कृतिक रसधारा
चिरांद विकास परिषद के सांस्कृतिक अध्यक्ष पंडित धनंजय मिश्र ने बताया कि गंगा पूजन और गंगा महाआरती एवं गंगा बचाओ संकल्प समारोह के बाद पूरी रात गंगा तट पर सांस्कृतिक रसधारा बहेगी. प्रसिद्ध गायक रौनक रतन गंगा भजन प्रस्तुत करेंगे. कुमारी अनिषा द्वारा आकर्षक कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी. सत्यम कला मंच, छपरा की टीम संस्कार गीत, नृत्य नाटिका प्रस्तुत करेगी. साथ ही जिले के सुप्रसिद्ध कलाकार जागरण की प्रस्तुति देंगे. राहुल एंड टीम गंगा स्वच्छता पर आधारित झांकी और नृत्य प्रस्तुत कर जनचेतना का संदेश देंगे. यह कार्यक्रम न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि युवाओं, पर्यावरण प्रेमियों और संस्कृति प्रेमियों को भी एक मंच पर लाने का माध्यम बनेगा. चिरांद की ऐतिहासिक भूमि से उठती गंगा की यह पुकार स्वच्छता, संरक्षण और सांस्कृतिक चेतना का संदेश पूरे समाज तक पहुंचाएगी.