Chhapra Desk – छपरा सदर अस्पताल में कोविड जांच के नाम पर अवैध रूप से वसूली किए जाने का मामला प्रकाश में आया है. इस मामले के प्रकाश में आने के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया है. क्योंकि कोरोना के आरटीपीसीआर जांच के नाम पर 1400 सौ रुपये की वसूली के बाद भी जो रिपोर्ट सौंपा गया है. वह भी जांच के दायरे में हैं. क्योंकि छपरा सदर अस्पताल में कोरोना का जांच कराने पहुंचे व्यक्ति को मुंबई के किसी निजी लैब का रिपोर्ट थमा दिया गया है. वैसे भी सदर अस्पताल में कोविड जांच के नाम पर 2000 से 2500 रुपये वसूली की बातें लगातार सामने आती रही हैं. जिसकी शिकायत हलचल न्यूज़ से भी लोगों के द्वारा की जा रही थी. जबकि, कोई ठोस सबूत हलचल न्यूज़ के हाथ नहीं लग पा रहा था. लेकिन इस बार जांच के नाम पर अवैध वसूली के पुख्ता सबूत भी मिले हैं और पीड़ित व्यक्ति के द्वारा अस्पताल उपाधीक्षक से इस मामले में शिकायत भी की गई है. जिसके बाद यह मामला अब तूल पकड़ने लगा है कि आखिर सरकार की तरफ से निशुल्क कोरोना जांच के नाम पर अस्पताल कर्मियों द्वारा किस प्रकार से अवैध वसूली की जा रही थी.
क्या है मामला?
बताते चलें कि छपरा शहर के मौना धानुक टोली निवासी मोहम्मद अफजल बीते दिन अपने पिता मोहम्मद वाहिद का कोरोना जांच कराने के लिए छपरा सदर अस्पताल पहुंचे थे. जहां उनके द्वारा कोरोना जांच काउंटर पर मौजूद वंदना कुमारी एवं सुमन कुमार सहित तीन लोगों के द्वारा आरटीपीसीआर जांच का ओटीपी मंगाने के नाम पर ₹2500 की मांग की गई और सौदा ₹1400 में तय हुआ. जिसके बाद मोहम्मद अफजल अपने पिता का सैंपल दिलाने के बाद उन्हें ₹1400 देकर घर चला गया. जिसके बाद बुधवार को जब वह अपनी जांच रिपोर्ट लेने के लिए छपरा सदर अस्पताल पहुंचा तो जांच काउंटर पर वे तीनों लोग मौजूद नहीं थे. जिसके बाद उसके द्वारा हंगामा किए जाने लगा और जब उसके द्वारा जब फोन किया गया तो सुमन कुमार नामक अस्पताल कर्मी के द्वारा उसके मोबाइल पर जांच रिपोर्ट भेजा गया. उस रिपोर्ट को देखने के बाद वह युवक सोच में पड़ गया. क्योंकि, वह जांच रिपोर्ट मुंबई के जनरल डायग्नोस्टिक्स नामक लैब से जारी किया गया था. जबकि उसके द्वारा जांच का सैंपल छपरा सदर अस्पताल में दिया गया था. जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया और इस बाबत उस युवक के द्वारा दोषी अस्पताल कर्मियों पर कार्रवाई के लिए अस्पताल उपाधीक्षक को आवेदन लिखा गया है.
कोविड जांच रिपोर्ट भी संदेह के घेरे में
अस्पताल कर्मी द्वारा उक्त व्यक्ति को जनरल डायग्नोस्टिक्स नाम से दिया गया कोविड जांच रिपोर्ट भी संदेह के घेरे में है. क्योंकि, यह कंपनी मुंबई की है और उस व्यक्ति के द्वारा 14 दिसंबर की दोपहर 12:00 बजे जांच सैंपल छपरा सदर अस्पताल में दिया गया था. जबकि, 15 दिसंबर को अपराहन 3:00 बजे यह रिपोर्ट उस व्यक्ति को सौंप दिया गया. ऐसी स्थिति में यह जांच का विषय है कि वास्तव में यह रिपोर्ट सही है या इसमें भी हेराफेरी की गई है. वैसे कुछ लैब टेक्नीशियन की मानें तो यह रिपोर्ट निश्चित तौर पर फर्जी हो सकता है. जो कि पैसे के नाम पर जारी किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में जनरल डायग्नोस्टिक्स नमक कंपनी भी जांच के घेरे में आ जाएगी.