छपरा मेडिकल कालेज में सबडर्मल इंप्लांट की सुविधा प्रारम्भ ; महिलाओं को अनचाहे गर्भ से 3 वर्ष तक मिलेगी राहत

छपरा मेडिकल कालेज में सबडर्मल इंप्लांट की सुविधा प्रारम्भ ; महिलाओं को अनचाहे गर्भ से 3 वर्ष तक मिलेगी राहत

CHHAPRA DESK –  सारण जिले में अब महिलाओं को बिना गर्भनिरोधक गोली खाएं और किसी अन्य उपाय के तीन वर्ष तक अनचाहे गर्भ से छुटकारा मिल जाएगा. क्योंकि छपरा मेडिकल कॉलेज में अब गर्भनिरोधक का एक नया और अत्याधुनिक विकल्प उपलब्ध हो चुका है. स्वास्थ्य विभाग की पहल पर अब छपरा मेडिकल कॉलेज में सबडर्मल गर्भनिरोधक इंप्लांट की सुविधा शुरू कर दी गई है. इस पहल की शुरुआत मेडिकल कॉलेज की विशेषज्ञ चिकित्सिका डॉ सुमन और डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ निर्मला के तकनीकी निर्देशन में की गई. जिसमें आज पहले चरण में दो महिलाओं डोरीगंज के दफ्तरपुर गांव की रूपाली देवी और माला गांव की निर्मला देवी को इंप्लांट लगाया गया है. दोनों महिलाओं ने इसे पूरी तरह सुरक्षित और लाभकारी अनुभव बताया है.

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क्या है सबडर्मल इंप्लांट?

इस संबंध मे डॉक्टर सुमन ने बताया कि सबडर्मल इंप्लांट एक पतली छड़ी के आकार की डिवाइस होती है, जिसे महिला की ऊपरी बांह की त्वचा के नीचे लगाया जाता है. यह प्रक्रिया बिना किसी सर्जरी के होती है जो मात्र कुछ मिनटों में पूरी हो जाती है. इसकी प्रभावशीलता तीन वर्षों तक बनी रहती है और इस दौरान गर्भधारण की संभावना लगभग शून्य हो जाती है. महिला अपनी सामान्य दिनचर्या में बिना किसी बदलाव के जीवन जी सकती है. आवश्यकता पड़ने पर इसे चिकित्सकीय सलाह से निकाला भी जा सकता है. वहीं इस संबंध में मेडिकल कॉलेज की डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉक्टर निर्मला  ने बताया कि “गांवों में पोषण की कमी, बार-बार गर्भधारण और बच्चों में कम अंतर जैसी समस्याएं महिलाओं के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती हैं.


यह इंप्लांट इन सभी समस्याओं का वैज्ञानिक और एक प्रभावी समाधान है, साथ ही इससे मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य में सुधार होगा, जन्मों में आवश्यक अंतर बना रहेगा, महिलाओं को बेहतर पोषण मिलेगा और मातृ मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी. यह परिवार कल्याण कार्यक्रम और महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है. वहीं इंप्लाटेड वूमेन रूपाली देवी ने बताया कि अब बार-बार की दवा की जरूरत नहीं पड़ेगी. हम संतोष और सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.


तो वही दूसरी इंप्लाटेड महिला निर्मला देवी का कहना था कि डॉक्टर ने जो समझाया, वह बहुत भरोसेमंद लगा. अब तीन साल तक चिंता नहीं है. प्रबंधन के मुताबिक यह तकनीक अब तक सिर्फ राज्य के कुछ गिने-चुने सरकारी मेडिकल संस्थानों में ही उपलब्ध थी, लेकिन अब इसका विस्तार सारण जैसे जिले में भी हो गया है. इस दौरान मेडिकल कॉलेज के सभी चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे.

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