Hulchalnews24 इम्पैक्ट : यातायात थाना प्रभारी को एसपी ने किया सस्पेंड ; 4 घंटे तक शहर में जाम लगने पर की कार्रवाई

Chhapra Desk – छपरा शहर में बीते दिन लगे भयंकर महा जाम की खबर को Hulchal News 24 टीम के द्वारा लाइव दिखाये जाने को लेकर सारण एसपी संतोष कुमार के द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई है. करीब 4 घंटे तक लगे शहर में महा जाम के लाइव वीडियो को गंभीरता से लेते हुए एसपी ने ट्राफिक थानेदार रामबाबू प्रसाद को सस्पेंड कर दिया है. बताते चलें कि Hulchal news 24 के द्वारा 17 नवंबर की दोपहड़ छपरा सदर अस्पताल से लेकर मालखाना चौक तक महा जाम का लाइव प्रसारण किया गया था. यह जाम 11:00 बजे से लेकर अपराहन 3:00 बजे तक पूरी तरह महाजाम में तब्दील हो गया था. वही हलचल न्यूज़ के लाइव वीडियो पर जिला प्रशासन के द्वारा त्वरित कार्रवाई कर नगर थानाध्यक्ष एवं भगवान बाजार थाना अध्यक्ष को मौके पर पहुंचने के लिए निर्देश दिया गया. उस दौरान जाम हटाने के लिए पुलिस कर्मियों को भी पैदल ही अस्पताल तक पहुंच कर करीब आधे घंटे तक मशक्कत करना पड़ा था. जिसके बाद यातायात सामान्य हो सका था. हालांकि उस दौरान महा जाम में फंसने के कारण कोपा थाना क्षेत्र निवासी गौतम कुंवर की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो गई. लिहाजा जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया. प्रथमदृष्टया ट्राफिक थानेदार रामबाबू प्रसाद दोषी पाये गये. जिनको सस्पेंड कर दिया गया.

सुधीर सिन्हा को मिला ट्राफिक थानेदार का प्रभार

ट्राफिक थानेदार रामबाबू सिन्हा को सस्पेंड किये जाने के बाद एसपी ने तत्काल सब इस्पेक्टर सुधीर सिन्हा को प्रभार दिया है. सुधीर सिन्हा दूसरे जिला से ट्रांसफर होकर छपरा आये थे. यहां बता दें कि ट्राफिक थाना खुलने के बाद पहले थानेदार रामबाबू सिन्हा थे. कोरोना काल में ही डीआइजी मनु महाराज ने ट्राफिक थाना का शुभांरभ किया था.

सामान्य दिनों में इन दो वजहों से लगता है जाम

सामान्य दिनों में शहर में जाम का दो मुख्य वजह है. एक जो शहर में फुटपाथी दुकान और दूसरा पार्किंग व स्टैंड की व्यवस्था नहीं होना है. इसके लिए पिछले पांच से छह साल से प्रशासनिक स्तर पर कागजी घोड़ा दौड़ लगा रहा है. शहर में अतिक्रमण और जाम एक सिस्टम की जकड़न बन चुकी है. अतिक्रमण हटा देना समाधान नहीं है. इसके लिए विकल्प देना सबसे जरुरी है. जब तक फुटपाथी दुकानदारों को वेंडिंग जोन में शिफ्ट नहीं किया जाता है. इसके आलोक में जिला प्रशासन ने शुरुआत के दिनों में पहल की लेकिन फिर से मामला ठंडे बस्ता में चला गया. पिछले पांच सालों से फाइलों में यह योजना दौड़ लगाकर दत तोड़ चुकी है. इसके लिए करीब डेढ़ करोड़ की राशि से वेंडिंग जोन बनाने के लिए जमीन चिन्हित किया गया लेकिन निर्माण के साथ ही काम रुक गया. लिहाजा फुटपाथों पर जीवन गुजर बसर करना और जीवकोपार्जन करना मजबूरी बरकरार है. इसके अलावें शहर में कहीं भी वैध पार्किंग जोन का निर्माण नहीं हो पाना भी है.

Loading

E-paper ब्रेकिंग न्यूज़